लोक कलाएं हमारी संस्कृति की विरासत: कुलपति

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लोक कलाएं हमारी संस्कृति की विरासत: कुलपति

बहुद्देशीय सभागार में आयोजित बिरहा महोत्सव कार्यक्रम का किया उद्घाटन

बलिया। उप्र लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में विरासत कार्यक्रम के अंतर्गत बिरहा महोत्सव कार्यक्रम शनिवार को गंगा बहुद्देशीय सभागार में आयेाजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चन्द्रशेखर विव के कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर इसका उद्धघाटन किया।
प्रो. गुप्ता ने कहा कि यह लोक कलाएं हमारी संस्कृति की विरासत है। आज के युवा मोबाइल और सोशल मीडिया में अपना अधिक समय दे रहे हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि युवाओं को अपनी लोक कलाओं से परिचित कराने के लिए ऐसे उत्सव होते रहें। इसके लिए हमारे लोक कलाकार को बधाई, जो वो अपनी संस्कृति को समाज के सामने ला रहे हैं। उन्होंने लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ को भी साधुवाद किया और कहा ये संस्थान देश की विरासत को बचाने और बढ़ाने का अद्भुत कार्य कर रही है।
बस्ती की लोक कलाकार सुश्री शारदा देवी ने कार्यक्रम की शुरुआत वीणा वादिनी माता को समर्पित लोकगीत “मोरी माई तेरा सरगत सितार” से किया। उसके बाद बलिया के बिरहा कलाकार राम कृपाल यादव ने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत गीत “हमार झण्डवा तिरंगवा गगन में लहरी” से शुरू की। मऊ के बिरहा कलाकार चंद्र किशोर पाण्डेय ने देशभक्ति गीत और कजरी से उपस्थित सभी दर्शकों का मनोरंजन किया। उनके गाये गीत धरती अरती उतारे हिम गिर चरन पखारे सन देशवा हमार को सभी ने खूब पसंद किया। गाजीपुर के कलाकार पारस नाथ सिंह ने मुँदरी सीता संवाद के दृश्य को संदर्भित करते हुए “कौनो जतानियाँ प्यारी मुँदरी दुलारि हो” गाकर उपस्थित सभी दर्शकों को भावविभोर कर दिया। वाराणसी के लोक कलाकार मन्ना लाल यादव ने “भारत देशवा मोर सबसे महान निशान जेकर फहरे है मितवा” गाकर सभी को आनंदित कर दिया।
उप्र लोक एवं जनजातीय संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने समापन सत्र में कहा कि इन आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपने लोक कलाओं से परिचित कराना एवं उन में जागरूकता पैदा करना है जिससे युवा पीढ़ी अपने लोक कलाओं एवं संस्कृति से परिचित हो सके। संचालन प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार आशीष त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम में धीरज गुप्ता, उपेन्द्र सिंह, लोक कलाकार बृजमोहन प्रसाद अनाड़ी, आनंद कुमार चौहान, ट्विंकल गुप्ता, लोक कलाकार अनुभा राय तथा उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति के कार्यक्रम अधिकारी अवधेश अवस्थी रहे।

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