बलिया वसूली कांड: जांच पर सवाल, क्यों थाने का कारखास सेफ जबकि एक का नाम मुकदमा में, स्थानान्तरित कारखास भी चपेट में

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बलिया वसूली कांड: जांच पर सवाल, क्यों थाने का कारखास सेफ जबकि एक का नाम मुकदमा में, स्थानान्तरित कारखास भी चपेट में

बलिया। नरही थाना के चर्चित यूपी बिहार की सीमा स्थित भरौली चौराहा पर एडीजी वाराणसी व डीआईजी आजमगढ़ ने चार दिनों पहले रात करीब दो बजे छापेमारी की। मौके से अधिकारियों ने दो पुलिसकर्मी समेत 18 को गिरफ्तार किया। इस मामले में नरही थाना प्रभारी पन्नेलाल, कोरंटाडीह चौकी प्रभारी राजेश प्रभाकर, थाना के हेड कांस्टेबल व चार पुलिसकर्मियों समेत कुल 23 लोगों पर नरही थाना पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इस प्रकरण की विवेचना एएसपी आजमगढ़ शुभम अग्रवाल कर रहे हैं। बीते तीन दिनों से एएसपी आजमगढ़ के अलावा एसओजी टीम भरौली चौराहा समेत आसपास के इलकों में लगातार चक्रमण कर रही है। पुलिस की टीम छापा के दौरान पकड़े गए रजिस्टर में अंकित नामो के आधार पर उनके घरों पर दस्तक दे रही है कई लोगों को उठाया भी गया है। लेकिन एक सवाल लोगों के जेहन में अब भी खटक रहा है। बताया जाता है कि एक माह पहले थाने के एक कारखास को पुलिस लाइन भेज दिया गया जबकि दूसरा बना रहा। इसी बीच एसओ ने स्थानान्तरित के स्थान पर एक सिपाही को जिम्मेदारी दे दी। सूत्र बताते हैं कि पहले से रहे कारखास को यह नागवार लगी। यह कारखास हमेशा बिना ड्रेस के ही भरौली चौराहा पर रहता था और वसूली का काम देखता था। इतना ही नहीं एसओ के साथ बलिया में खरीदारी में भी साथ रहता था। लेकिन छापेमारी के बाद दर्ज मुकदमा में उसका नाम नहीं है। यहां तक कि एक माह पहले स्थानान्तरित कारखास को पुलिस पूछताछ के लिए बुला चुकी है। इस कारखास को लेकर तरह तरह की चर्चा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कारखास वसूली से जुड़ी सभी ठिकानो को जानता है और जांच टीम को सिग्नल दे रहा है।

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कहीं कारखासी की झगड़े ने ही तो नहीं फोड़ा भंडा
बलिया। नरही एसओ पन्नेलाल ने दो कारखास रखे थे जो पूरी वसूली को देखते थे। एक माह पहले एक कारखास को एसपी ने थाने से हटाकर पुलिस लाइन भेज दिया। दूसरे कारखास को उम्मीद थी कि उसे पूरी जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन एक अन्य सिपाही भी इसमे शामिल हो गया। यहीं से अंदरखाने खींचतान शुरू हो गई। सूत्रों के अनुसार एक कारखास कई बार वाराणासी भी जा चुका है। छापे के बाद उसका नाम न तो मुकदमा में है और न ही उसकी कोई चर्चा है। जबकि दूसरा कारखास का नाम मुकदमा में है। इतना ही नहीं एक माह पहले के स्थानान्तरित कारखास भी लपेटे में है।

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