मातम के बीच गूंजा या हुसैन, करबला में ठंडा हुई मिट्टी, 617 स्थानों पर निकला जुलूस

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बलिया। इमाम हुसैन के शहादत की याद में करबला के मैदान में मनाया जाने वाला मोहर्रम बुधवार को मुस्लिम भाइयों ने नम आंखों से मनाया। नगर समेत ग्राम्यांचलों में मुस्लिम बंधुओं ने शाम छह बजे तक ताजिए की मिट्टी को करबला में दफन कर दिया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और जगह-जगह बैरिकेटिंग की व्यवस्था भी की गई थी। वहीं खुफिया तंत्र भी वेश और सादे वेशमें चक्रमण करती रही।
मोहर्रम पर जनपद के 22 थाना अंतर्गत 617 स्थानों पर ताजिया जुलूस निकला गया। इस दौरान शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों ने एक शहीदों की याद में मातम मनाया और करबला में मिट्टी दफन किया। इस अवसर पर नगर के विभिन्न मुहल्लों से ताजिया जुलूस निकाला गया। नगर से सटे परमंदापुर, उमरगंज, बहेरी, जंगेअली मुहल्ला, काजीपुरा, मिश्रनेउरी, विशुनीपुर के मुस्लिम बंधुओं ने हुसैन की याद में आंसू बहाए और जंजीरी मातम मनाया। जुलूस में नौहाख्वानी के अलावा या हुसैन, या हुसैन की आवाज बुलंद की गई। इस दौरान हजाराें की संख्या में मुस्लिम करबला की ओर कूच किए। वही सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रही। उधर नगर से सटे मिड्ढा गांव में दसवीं के दिन बाजार में तीनों ताजिए एक जगह एकत्र होकर करबला के लिए रवाना हुए। जहां गाजे-बाजे के साथ जुलूस आमडारी स्थित करबला पहुंचा। करबला में मिड्ढा, आमडारी व मलकपुरा के ताजिए का मिलान हुआ। उसके बाद सभी ताजिए की मिट्टी दफना दिए गए। इस मौके पर युवकों द्वारा एक से बढ़कर एक करतब दिखाया। बेल्थरारोड में मातमी पर्व मोहर्रम इलाके में परंपरागत ढंग से मनाया गया। नगर क्षेत्र के कुंडैल नियामत अली, बहोरवां खुर्द, साह कुुंडैल, बिठुआं, अवायां, चौकिया समेत थाना क्षेत्र के करीब 74 स्थानाें पर ताजिए निकाले गए। करबला में देर शाम तक मिट्टी दफन का सिलसिला जारी रहा। इसके अलावा नरही थाना क्षेत्र के भरौली, अमांव, उजियार, कोटवा नारायणपुर में ताजिया उठाकर विभिन्न मार्गों से होते हुए जुलूस निकाला गया और करतब दिखाया गया। इसके बाद ताजिए की मिट्टी को करबला में दफन किया गया। बैरिया स्थित त्रिमुहानी पर बैरिया, सोनबरसा, चांदपुर, मिश्र के मठिया आदि गांवों में मुस्लिम बंधुओं ने ताजिया जुलूस निकालकर करबला में मिट्टी दफन किया। सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के दर्जनों गांवों में मुस्लिम बंधुओ ने गमे मोहर्रम का जुलूस निकाला। इस दौरान या हुसैन, या हुसैन की ऊंची आवाज लगाई। इसके साथ ही नम आंखों से हुसैन की शहादत को याद किया।

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