बलिया: जिलाधिकारी ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन किया अर्पित

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बलिया: जिलाधिकारी ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन किया अर्पित

बलिया। जनपद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती के पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। राजकीय भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया तथा कार्यालयों, विद्यालयों व अन्य संस्थाओं में गांधीजी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। इसके साथ ही गांधीजी के जीवन, उनकी देश सेवा, जीवन-मूल्यों, अन्त्योदय की अवधारणा तथा राष्ट्रीय एकता व अखण्डता पर प्रकाश डाला गया।
जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कलेक्ट्रेट में आयोजित कार्यक्रम में महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके साथ ही अपर जिलाधिकारी डीपी सिंह, मुख्य राजस्व अधिकारी त्रिभुवन व नगर मजिस्ट्रेट इन्द्रकांत द्विवेदी ने दोनों महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। महात्मा गांधी के प्रिय भजन-‘‘वैष्णव जन तो तेने कहिये‘‘ एवं ‘‘रघुपति राघव राजा राम‘‘ का गायन किया गया।
जिलाधिकारी ने दोनों महापुरुषों को नमन करते हुए कहा कि सौभाग्य की बात है कि दोनों महापुरुषों का जन्म दिवस एक साथ 2 अक्टूबर को पड़ता है। उन्होंने गांधी जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में काले व गोरे लोगों में किए जा रहे भेदभाव को देखा तथा उन्हें भी भेदभाव को सहन करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका से भारत आकर देश को आजाद कराने का संकल्प लिया। गांधी जी पूरे विश्व में स्वीकार्य हैं। महात्मा गांधी जी ने देश को आजाद कराने में अहम योगदान दिया। कहा कि देश को आजाद कराने में सभी महापुरुषों-नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, लाला लाजपत राय व चंद्रशेखर आजाद आदि ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन महात्मा गांधी जी की भूमिका सबसे अलग थी। गांधी जी ने योजना बनाकर आमजन का सहयोग लेकर अपने आंदोलन से आमजन को जोड़ा। उन्होंने खादी पर विशेष बल दिया और जीवन भर सत्य व अहिंसा का पालन किया। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह साधारण परिवार से थे। प्रधानमंत्री के रूप में छोटे कार्यकाल में भी एक अहम छाप छोड़ी। हम सभी लोगों को इन दोनों महापुरुषों के जीवन दर्शन एवं सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।

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