बलिया वसूली कांड: अफसरों ने ही रखी नींव, दरोगा सिपाही में कहां दम था
बलिया वसूली कांड: अफसरों ने ही रखी नींव, दरोगा सिपाही में कहां दम था
किसी आईपीएस तक कब पहुंचेगी जांच
बलिया। नरही थाना क्षेत्र के प्रांतीय सीमावर्ती इलाका भरौली चौराहा पर एक सप्ताह पहले एडीजी जोन वाराणसी व डीआईजी आजमगढ़ ने छापेमारी कर प्रतिदिन लाखों की अवैध वसूली का खुलासा किया था। लेकिन इस खुलेआम वसूली की जानकारी क्या अफसरों को नहीं थी। यहां तक कि अफसरों ने शिकायतों को भी क्यों नजरअंदाज किया। खुलासा के बाद अबतक की कार्रवाई केवल दरोगा, सिपाही व दलाल तक ही सीमित है। आखिर इनकी तैनाती करने वाले आईपीएस क्यों बचे हैं। हालांकि शासन ने एक एसपी के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।
बता दें कि सीमावर्ती थानों में अवैध वसूली का धंधा तो अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है। बताया जाता है कि गंगा पर पुल नहीं होने पर नाव से अनाज आदि की तस्करी होती थी। समय बदलता गया और वसूली का तरीका भी बदलता गया। लेकिन दो वर्ष पहले तत्कालीन एसपी ने सीमावर्ती इलाके के थानों पर एसआई को प्रभारी के तौर पर तैनात किया। यहीं से नए तरीके से अवैध वसूली की शुरुआत हुई। इसके चलते पहले से ही मलाईदार थाना में शुमार नरही थाने की वसूली कई गुना अधिक हो गई। सूत्रों की माने तो अफसरों का टारगेट पूरा करने के लिए थाना प्रभारी जी जान लगाते रहे और अधिक से अधिक वसूली के लिए हर तरह की तस्करी को बढ़ावा देते रहे। बिना अफसरों की कृपा के खुलेआम अवैध वसूली करने का दम दरोगा सिपाही में संभव ही नही है। तभी तो कई बार हुई शिकायत को उच्चाधिकारी भी दबाते रहे। अभी भी केवल दरोगा, सिपाही व दलाल के बीच ही जांच घूम रही है, किसी बड़े अफसरों के यहां तक नहीं पहुंच रही। इस प्रकरण की जांच बीते दो वर्षों में जिले में तैनात रहे अफसरों की भी होनी चाहिए।