बलिया में नदी -पोखरे के पास पिंडदान व तर्पण कर लोगों ने पितरों को किया विदा
बलिया में नदी -पोखरे के पास पिंडदान व तर्पण कर लोगों ने पितरों को किया विदा
बलिया। पितृपक्ष पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या पर बुधवार को क्षेत्र के गंगा, सरयू नदी एवं तालाब, पोखरा व पीपल के पेड़ के नीचे के साथ ही अपने-अपने घरों के बाहर लोगों ने तर्पण की। लोगों ने अकाल मृत्यु, वंशवृद्घि, शारीरिक पीड़ा व रोग व्याधि से मुक्ति के लिए पितरों से आशीर्वाद लिया। इसके पूर्व लोगों ने मुंडन करवा पितरों का पिंडदान व तर्पण कर विदाई की।
बुधवार की सुबह से ही जिले के गंगा सहित विभिन नदी के घाटों पर अपने पितरों के तर्पण व श्राद्ध कर्म के लिए लोग पहुंचे। पुरोहितों के बताए अनुसार विधि विधान से पिंडदान, जलदान, तिलांजलि आदि देकर श्राद्ध किया। इसके अलावा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य कर पितरों से परिवार के सुख समृद्घि की कामना की। तत्पश्चात ब्राम्हण को भोजन कराया। इस दौरान लोगों ने शहर के महावीरघाट, शिवरामपुर गंगा घाट, रामगढ़, बैरिया, जयप्रकाश
नगर, बेल्थरारोड, बड़काखेत, भरौली, कोटवा नारायनपुर आदि के नदी घाटों पर श्राद्ध कर्म किया। जबकि कुछ लोगों ने अपने घर के बाहर या गांव के बाहर श्राद्घकर्म किया। मान्यता
है कि पितृपक्ष में सभी पितृ देवता धरती पर अपने घरों में आते हैं और तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। उसके बाद अमावस्या पर सभी पितर अपने लोक को लौट जाते हैं। पितरों के लिए अमावस्या का विशेष महत्व है।