बलिया के आंगनबाड़ी में फर्जी नियुक्ति मामले में नोटिस दे सो गया विभाग
बलिया के आंगनबाड़ी में फर्जी नियुक्ति मामले में नोटिस दे सो गया विभाग
आठ माह बाद भी नहीं मिला स्पष्टीकरण फिर भी कार्रवाई नहीं
एनडी राय
बलिया। शासन की ओर से तमाम कवायद के बावजूद जिले में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली में बदलाव नहीं हो रहा है। फर्जीवाड़ा व भ्रष्टाचार से जुड़े मामले भी महीनों तक लटकाये रखा जाता है। ऐसा ही मामला हनुमानगंज बाल विकास परियोजना अन्तर्गत एक केन्द्र का है। फर्जी नियुक्ति की शिकायत पर 8 माह पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ती का मानदेय रोक कर उसे नोटिस दिया गया और प्रभार सहायिका को दिया गया। लेकिन विभाग अभी भी कार्यकर्ती के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है। अबतक कार्रवाई नहीं हो सकी है जबकि फर्जीवाड़ा से जुड़े सभी साक्ष्य शिकायतकर्ता ने दी है।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में कर्मियों की मिलीभगत से अब भी खेल बदस्तूर जारी है। पूर्व में आंगनबाड़ी में हुई नियुक्ति में धांधली की शिकायतों को भी अधिकारी गोलमटोल जबाव लगाकर पर्दा डालने का काम करते हैं
बता दें कि नगर से सटे उमरगंज उर्फ प्रेमचक निवासी आशीष ने एक वर्ष पहले गांव में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति होने की शिकायत जिलाधिकारी से की। बतौर साक्ष्य कई दस्तावेज भी दिए लेकिन डीएम के निर्देश के बावजूद जांच बाल विकास विभाग के कार्यालय में ठंडे बस्ते में पड़ी रही। इसके बाद आशीष ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर की। यहां भी जांच अधिकारी हनुमानगंज ब्लॉक के सीडीपीओ की ओर से यह उल्लेख करते हुए निस्तारित कर दिया गया कि मामले में संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया है। संतोषजनक जबाव नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद आशीष ने 10 माह पहले सभी साक्ष्यों के साथ उच्चाधिकारियों से शिकायत की तब जाकर विभाग हरकत में आया और आनन फानन में सीडीपीओ ने कार्यकर्ता का मानदेय रोकते हुए नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा तथा प्रभार सहायिका को दे दिया। इसके बाद विभाग सो गया और कार्रवाई ठंडे बस्ते में है। सवाल उठता है कि आखिर विभागीय अधिकारी एक नोटिस पर इतना लम्बा समय क्यों दे रहे? क्या लीपापोती का प्लान तैयार कर रहे?
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सात वर्ष पहले भी इसी तरह की लीपापोती में दो प्रभारी डीपीओ हुए थे सस्पेंड
वर्ष 2017 में जिला कार्यक्रम अधिकारी के स्थानांतरण के बाद बतौर प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी वरिष्ठ सीडीपीओ रामभवन वर्मा को बनाया गया। कुछ माह बाद इनका स्थानांतरण होने के बाद सीडीपीओ मालती देवी को प्रभारी डीपीओ बनाया गया। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में निर्मला देवी यादव को आंगनबाड़ी पद से हटाने के लिए सीडीओ व डीएम से अनुमोदन लेने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा एक आंगनबाड़ी पद के पात्र मिली मंजू देवी की नियुक्ति के लिए डीएम व सीडीओ से अनुमोदन लेने के बाद कार्रवाई नहीं की। तत्कालीन डीएम ने इसे उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी व उच्चाधिकारियेां के आदेश की अवहेलना मानते हुए कार्रवाई की संस्तुति बाल विकास एवं पुष्टाहार निदेशालय को भेज दिया। तत्कालीन निदेशक ने इस मामले में दोनों प्रभारी डीपीओ को निलंबित कर दिया था।
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संबंधित मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय रोक गया है, 8 माह कार्यरत नहीं है। नोटिस दी गई है लेकिन अबतक स्पष्टीकरण नहीं मिला है।
अमर नाथ चौरसिया, सीडीपीओ, हनुमानगंज, बलिया।