बलिया अगस्त क्रांति 1942

0

बलिया अगस्त क्रांति 1942

1942 में आज ही कलेक्टर बने थे शेरे बलिया चित्तू पांडेय, हुई थी आजादी की घोषणा
एनडी राय
बलिया। उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर बसा बलिया जनपद बलिया जंग-ए-आजादी का नायक रहा है। क्रांति आंदोलन का पहला चरण नौ अगस्त 1942 को शुरू हुआ। 16 व 17 अगस्त को भूपनारायण सिंह आदि की अगुवाई में भीड़ बैरिया थाने पर पहुंची। भीड़ को देख थानेदार काजिम हुसैन ने थाने पर तिरंगा फहरा कर जान बचाई। लेकिन रात में फोर्स बुलाकर फिर अंग्रेजी झंडा लगा दिया, तब 18 अगस्त को बैरिया थाने पर तिरंगा लहराने में 17 क्रांतिकारियों को जान गंवानी पड़ी। इसके बाद क्रांतिकारियों का आक्रोश ऐसा बढा कि 19 अगस्त को जिला मुख्यालय पर क्रांति की ज्वाला धधक उठी। लोग अपने घरों से सड़क पर निकल पड़े थे। जिले के ग्रामीण इलाके से शहर की ओर आने वाली हर सड़क पर जन सैलाब उमड़ पड़ा था। भारी भीड़ शहर की ओर बढ़ रही थी। लोगों के हाथों में हल, मूसल, कुदाल, फावड़ा, हंसिया, गुलेल आदि थे तो कई लोग मेटा में सांप व बिच्छू भरकर लाए थे। जैसे ही यह सूचना प्रशासन को मिली उसके होश उड़ गए। अफसरों ने अपने परिवार को पुलिसलाइन में सुरक्षित कर दिया था। तत्कालीन कलेक्टर जे.निगम जिला कारागार पहुंचे थे। जेल में बंद आंदोलन के नेताओं से रिहा करने की बात करते हुए भीड़ का आक्रोश शांत करने का निवेदन किया। इसके बाद कलेक्टर ने हार मानकर जेल के दरवाजे खोलवा दिए और वह चित्तू पांडेय से यह कहने को मजबूर हुआ कि पंडित जी अब आप ही इस भीड़ को संभालें और शांति व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी लें। चित्तू पांडेय के नेतृत्व में लोगों ने कलेक्ट्रेट सहित सभी सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा झंडा फहराया और शाम करीब छह बजे टाउन हाल में सभा कर बलिया को आजाद राष्ट्र घोषित करते हुए देश में पांच साल पहले ब्रिटिश सरकार के समानांतर स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र की सरकार का गठन कर लिया। चित्तू पांडेय को शासनाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *