बलिया अगस्त क्रांति 1942

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क्रांतिकारियों ने लूटी तिजोरी, तोड़कर नोटों को जलाया

बलिया अगस्त क्रांति 1942

क्रांतिकारियों ने लूटी तिजोरी, तोड़कर नोटों को जलाया

आजाद हिंद ट्रेन से पहुंचा छात्रों का जत्था, छात्रा की ललकार पर छात्रनेताओं का जागा जोश
एनडी राय
बलिया। सन 1942 की क्रांति का असर जिले में आजादी के दीवानों के सिर चढ़ कर बोलने लगा था। जनपद के चप्पे पर आंदोलन का क्रम जारी था। आज एक बार फिर आंदोलनकारियों ने रणनीति बनाई। चितबड़ागांव में भोज दत्त यादव और माधव सिंह बरजहिया की अगुवाई में लोगों ने डाकघर पर धावा बोल दिया और सभी अभिलेख और रोकड़ पर कब्जा कर लिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने स्वायत सरकार की स्थापना कर डाकघर के संचालन के लिए जगन्नाथ तिवारी को आजाद भारत का डाकपाल बना दिया। सोहांव से रामनगीना राय सैकड़ों युवाओं के साथ चितबड़ागांव पहुंचे। इन लोगों ने चितबड़ागांव, ताजपुर और फेफना सहित आसपास के गांव के लोगों के सहयोग से पूरी रात रेलवे के सिग्नल, टेलीफोन लाइनों को तहस-नहस करने का काम किया। इलाहाबाद, वाराणसी में पढऩे वाले छात्रों ने एक ट्रेन पर ही कब्जा कर लिया और उसका नाम आजाद हिंद ट्रेन घोषित करते हुए रवाना हुए। यह ट्रेन सुबह करीब आठ बजे बेल्थरारोड रेलवे स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन पर सवार एक क्रांतिकारी छात्रा ने ललकारते हुए कहा कि अंग्रजों का राज खत्म हो गया है और यहां से दक्षिण के सारे स्टेशन फूंक दिए गए हैं। कहा कि यहां के लोग कुछ नहीं कर सकते तो चूडिय़ां पहन लें और ट्रेन आगे की ओर रवाना हो गई। छात्रा की शब्दों ने छात्रनेता पारसनाथ मिश्र को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने डीएवी के छात्रों को साथ लेकर जुलूस निकाला और रेलवे स्टेशन, डाकघर, मालगोदाम को फूंक दिया। इसी बीच एक मालगाड़ी रलवे स्टेशन पर पहुंची तो उसे भी आग के हवाले कर दिया गया। मालगाड़ी पर लदी चीनी को क्रांतिकारियों ने लूट लिया और मालगाड़ी पर लदी तिजोरी से नोटों को निकाल कर फूंक दिया। इसमें डीएवी कालेज के प्रधानाचार्य देवनाथ उपाध्याय, डॉ. हरचरण लाल, सरजू राम, सुदेश्वर लाल, ऋषि तिवारी, चंद्रदीप सिंह, चंद्रमा यादव, जगन्नाथ पांडेय, प्यारे मोहन लाल, वासुदेव सिंह, माधव सिंह, लालजी दुबे, श्रीकांत आदि भी शामिल थे।

उधर, सिकंदरपुर में चेतन किशोर निवासी राम नगीना राय छोटे स्कूली बच्चों के जुलूस के साथ मिडिल स्कूल पहुंचे। बच्चे तिरंगा लहरा रहे थे और आजादी के गीत गा रहे थे। मिडिल स्कूल से जब जुलूस कस्बा की ओर से चला तो थानेदार अशफाक ने जुलूस पर घोड़ा दौड़ा दिया जिससे दर्जनों बच्चे गंभीर रुप से घायल हो गए। इसी बीच राम नगीना राय को गिरफ्तार कर लिया गया।

क्रांतिकारियों के आगे बैरिया थानाध्यक्ष ने किया सरेंडर, थाने पर फहराया तिरंगा
बलिया। कांग्रेस नेताओं द्वारा 12 व 13 अगस्त को लालगंज और दोकटी में थाना पर कब्जा करने की अपील बहुत काम आई और 14 अगस्त की सुबह क्षेत्र नायक के नेतृत्व में बजरंग आश्रम बहुआरा पर 300 लोग इकट्ठा हुए और झंडाभिवादन कर शपथ ली कि हम बैरिया थाने पर कब्जा किए बिना पीछे नहीं हटेंगे। इसके बाद बहुआरा गांव निवासी कमांडर भूप नारायण सिंह की अगुवाई में भीड़ बैरिया की तरफ बढ़ गई। एक खेत में पहुंचकर वहां फिर शपथ दोहराई गई और कहा गया कि कोई यदि घर लौटना चाहे तो घर जा सकता है लेकिन कोई घर नहीं लौटा। हालांकि कांग्रेस के एक गुट के कुछ कार्यकर्ता वहां पहुंचे और थाने पर कब्जा करने और ना करने पर बहस छेड़ दी। इस बहस को छोड़कर बहुआरा गांव निवासी रामजन्म पांडेय ने अगुआई की और वहां से थाने की ओर चल दिए। उनके पीछे पूरा जनमानस उमड़ पड़ा। थाने पर पहुंचकर कमांडर भूपनारायण सिंह और कुछ उनके साथी अंदर गए और तत्कालीन थानाध्यक्ष काजिम हुसैन के पास पहुंच वहां से जाने को कहा। थानाध्यक्ष काजिम हुसैन ने कहा कि मैंने आप लोगों की अधीनता स्वीकार कर ली है, चाहें तो अपना तिरंगा आप थाने पर लहरा दीजिए। चार दिन का मोहलत दीजिए। हम सिपाहियों व परिवार सहित यहां से चले जाएंगे। इस तरह 14 अगस्त 1942 को ही बिना खून-खराबे के भारतीय तिरंगा बैरिया थाने पर फहरा दिया गया। बांसडीह में नायब थानेदार जाफर से आंदोलनकारियों की कहासुनी हुई जिससे स्थित तनाव पूर्ण हो गया।

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