बलिया में 666 स्थानों पर रखी जाएंगी मां दुर्गा की प्रतिमाएं
बलिया में 666 स्थानों पर रखी जाएंगी मां दुर्गा की प्रतिमाएं
49 प्रतिमाएं स्थाई रूप से हैं स्थापित
पंडालों के निर्माण में समिति के सदस्य
बलिया। नवरात्र की शुरूआत हो चुकी है। विभिन्न दुर्गापूजा समितियों ने पंडाल के निर्माण में तेजी लाना शुरू कर दिया है। पंडाल की तैयारी करने के लिए कोलकाता के अलावा जिले के कारीगर लगे हुए हैं। वहीं एक से बढ़कर एक मां दुर्गा की प्रतिमाएं तथा पंडाल बनाने को लेकर कलाकारों में होड़ मची हुई है। जनपद के 22 थाना अंतर्गत 666 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित होंगी। इसमें 49 प्रतिमाएं स्थाई रूप से स्थापित हैं। जिले की13 प्रमुख देवी मंदिरों पर भक्तों की भीड़ ज्यादा उमड़ती है। इस वर्ष अधिकांश पंडालों की तैयारी
समिति के नौजवान कर रहे हैं। जबकि मूर्तियों का निर्माण कोलकाता सहित जिले के कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। वहीं जिले के कुल 52 स्थानों पर प्रतिमाएं विसर्जित होंगी।
पुलिस विभाग के वर्ष 2024 के आकड़ों के अनुसार जिले के 22 थाना अंतर्गत कुल 666 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। इसमें 49 मूर्तियां स्थाई रूप से स्थापित हैं।
इस वर्ष शहर कोतवाली में 30 स्थानों पर प्रतिमा स्थापित की जाएंगी। इसी प्रकार दुबहर में 20, गड़वार में 66, सुखपुरा में 14, फेफना में 26, नरहीं में 17, चितबड़ागांव में 20, बैरिया में 61 प्रतिमाएं स्थापित होंगी। इसी प्रकार हल्दी में 29, दोकटी में 21, रेवती में 36, बांसडीह में 36, बांसडीहरोड में 21, सहतवार में 21, मनियर में 12, सिकंदरपुर में 28, खेजुरी में 19 प्रतिमाएं स्थापित होगी। जबकि पकड़ी में 16, रसड़ा में 53, नगरा में 32, भीमपुरा में 36, उभांव में 55 मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित होगी। इस प्रकार कुल 666 स्थानों पर प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। शारदीय नवरात्र में नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों तथा पंडालों के आसपास भारी मात्रा में फोर्स तैनात रहेगी। वहीं अधिकारी चक्रमण करते रहेंगे।
जिलेे में 52 स्थानों पर मूर्तियां होगी विसर्जित
बलिया। कोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा मूर्ति विसर्जन के लिए पहले से ही जिले में 52 स्थान चिह्नित किया जा चुका है। इसमें शहर कोतवाली के जमुआ नवीन परती, ओझवलिया पोखरा में मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। इसी प्रकार दुबहर क्षेत्र के जौहरी माता पोखरा भड़सर, ओझवलिया, गायघाट,
पचरूखिया (गंगा नदी के छाडऩ) में मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। जबकि सुखपुरा थाना के गांव का पोखरा, सुरहाताल दक्षिणी, गड़वार थाना के गांव का पोखरा, फेफना में सेमरा घाट, तीखा पुल, मटही पुल, टोंस नदी में विसर्जन किया जाएगा। उधर, नरहीं थाना में दो, चितबड़ागांव में एक, बैरिया में तीन, हल्दी में दो, दोकटी में एक, बांसडीहरोड में तीन, सहतवार में तीन, मनियर में दो, सिकंदरपुर में चार, पकड़ी में दो, रसड़ा में एक, नगरा में एक, भीमपुरा में आठ, उभांव में दो स्थानों मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। हालांकि बाढ़ आने के कारण कुछ स्थान इधर-उधर बदले जा सकते हैं।
13 मंदिरों पर लगती है भीड़
बलिया। जिले के 13 प्रमुख मंदिरों में शारदीय नवरात्र व बासंतिक नवरात्र में मां के भक्तों की भीड़ अधिक लगती है। जिसमें शहर कोतवाली के दुर्गा
मंदिर गुदरी बाजार व जापलिनगंज, नरहीं थाने के मंगला भवानी, सुखपुरा के ब्राह्मणी मंदिर, बांसडीहरोड के शांकरी भवानी, रसड़ा के काली मंदिर, नीबू कबीरपुर व चंडी देवी मंदिर, सिकंदरपुर के जल्पा- कल्पा मंदिर, मनियर के बुढ़ऊ बाबा मंदिर व नवका बाबा मंदिर, रेवती के पचरूखा देवी गायघाट मंदिर हैं
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1948 से रखी जाती हैं मां दुर्गा की
प्रतिमा
बलिया। नगर के जगदीशपुर स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा सेवा
संस्थान वर्ष 1948 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते चले आ रहे है। यह संस्थान जिले का सबसे पुराना है। यह बंगाली समाज द्वारा संचालित होती है। यहां मां का पट प्रत्येक वर्ष षष्ठी तिथि को खुलता है तथा बंगाली रीति-रिवाज से पूजन-अर्चन की जाती है। वहीं बंगाली समाज द्वारा विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके बाद आर्य समाज रोड श्रीदुर्गा भक्त कमेटी है, जो वर्ष 1961 से प्रतिमा स्थापित करती चली आ रही है। वहीं तीसरे नंबर पर ओक्डेनजगंज की श्रीदुर्गा पूजा समिति है, जो 1978 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करती चली आ रही है। इस प्रकार नगर में कुल 30 पंडालों का निर्माण विभिन्न समितियों द्वारा किया जा रहा है। बंगाली समाज का षष्टी और शेष समितियों का पट सप्तमी तिथि को खुलता है।