अनुरक्षण में खेल, एनएच व पीएमजीएसवाई सड़क बदहाल

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बलिया। अनुरक्षण में शामिल सड़कें महीनों से क्षतिग्रस्त हैं लेकिन इसको लेकर विभाग उदासीन बना हुआ है। एनएच 31 हो या प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क जगह-जगह ध्वस्त होने से लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एनएच व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कें अनुरक्षण सहित होती हैं। इन सड़कों के निर्माण के समय तीन से पांच वर्ष तक समय-समय पर मरम्मत आदि के लिए धनराशि का प्रावधान भी किया जाता है। निर्माण कार्य कराने वाली एजेंसी के जिम्मे ही यह कार्य भी होता है। लेकिन इसके बावजूद जिले में अुनरक्षण में शामिल सड़कों की दशा बदहाल है। क्योंकि सड़कें बनने के कुछ दिनों बाद से बिगड़ने लगती हैं और मरम्मत कार्य को लेकर उदासीनता बरती जाती है। वर्तमान में एनएच 31 जहां दो वर्ष बाद ही टूटने लगी है वहीं प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों की दशा भी बेहाल है। बतौर उदाहरण यूपी-बिहार की सीमा पर एनएच 31स्थित भरौली चौराहा पेपर सड़क बदहाल है और पैदल चलना भी दुश्वार है।
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आठ किमी की दूरी में एनएच 31 बदहाल
एनएच 31 पर करीब दो वर्ष पहले नवीनीकरण कार्य कराया गया। जिले में करीब 73 किमी की लंबाई में कोटवां नारायनपुर से मांझी तक एनएच 31 है। इस सड़क के निर्माण के साथ ही तीन वर्ष तक मरम्मत आदि के लिए धनराशि का प्रावधान किया गया। लेकिन वर्तमान में यह सड़क कई जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। सोहांव ब्लॉक के भरौली से लेकर लक्ष्मणपुर तक आठ किमी की दूरी में यह सड़क कई स्थानों पर पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
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तीन करोड़ की सड़क तीन वर्ष में ही ध्वस्त
वर्ष 2020 में सोहांव ब्लॉक के भरौली-टुटुवारी 6.055 किमी लंबे मार्ग का निर्माण मार्ग का निर्माण 319.58 लाख की लागत से कराया गया। इस सड़क के मरम्मत आदि के लिए पांच वर्ष तक प्रावधान किया गया। लेकिन वर्तमान में यह सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। कई जगह गडढ़े बन चुके हैं जिसके चलते आवागमन दुरुह बना हुआ है।
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अभी एनएच अनुरक्षण में है और कार्यदायी संस्था की जिम्मेदारी है कि कहीं भी सड़क क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत का कार्य कराएंगे। जहां भी सड़क क्षतिग्रस्त है उसे कार्यदायी संस्था की ओर से दुरुस्त कराया जाएगा।

– एसपी पाठक, ‌परियोजना निदेशक, एनएचएआई, आजमगढ़

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