बलिया खाद्यान्न घोटाला: ईओडब्ल्यू ने आरोपी एडीओ पंचायत को किया गिरफ्तार
बलिया खाद्यान्न घोटाला: ईओडब्ल्यू ने आरोपी एडीओ पंचायत को किया गिरफ्तार
करीब दो दशक पहले सामने आया था करोड़ों का खाद्यान्न घोटाला, 51 एफआईआर में थे 6055 आरोपी
बलिया। ईओडब्ल्यू वाराणसी की टीम ने बलिया में करीब दो दशक पहले हुए खाद्यान्न घोटाले के आरोपी एडीओ पंचायत को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। अचानक हुई इस कार्रवाई से मनियर ब्लाक कार्यालय में हड़कंप मच गया। पुलिस टीम आरोपी अधिकारी को कोर्ट में पेश करने के लिए वाराणसी रवाना हो गई।
बता दें कि जिले में दो दशक काम के बदले अनाज योजना में करोड़ों का खाद्यान्न घोटाला हुआ था। इसकी जांच अभी भी चल रही है। खाद्यान्न घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आया है। ईओडब्ल्यू वाराणसी की टीम ने कार्रवाई करते हुए एक आरोपी व मनियर विकास खंड के एडीओ पंचायत अरुण कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही टीम ने आरोपी को कोर्ट में पेश करने के लिए वाराणसी लेकर रवाना हो गई। ईओडब्ल्यू द्वारा अचानक की गई इस कार्रवाई से मनियर ब्लॉक मुख्यालय में हड़कंप मच गया। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन, वाराणसी टीम इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में खाद्यान्न घोटाला में संलिप्त एडीओ (पंचायत) अरुण कुमार सिंह पुत्र देवनाथ सिंह निवासी ग्राम खटंगी थाना सिकंदरपुर को मनियर ब्लॉक गेट के पास से गिरफ्तार किया। आरोपी के विरुद्ध सिकंदरपुर थाना में वर्ष 2006 में खाद्यान्न घोटाला का मुकदमा पंजीकृत है। उस समय
आरोपी बतौर ग्राम पंचायत अधिकारी ब्लॉक नवानगर में तैनात था और वर्तमान में मनियर ब्लॉक पर कार्यरत है। गिरफ्तारी करने वाली टीम में निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा, मुख्य आरक्षी विनीत पांडेय, सरफराज अंसारी, अरविंद सरोज रहे।
यह है मामला
जिले में वर्ष 2002-03 से वर्ष 2005-06 के बीच संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत करोड़ों के खाद्यान्न घोटाले का मामला सामने आया। वर्ष 2005 में सबसे पहले सीबीसीआईडी ने 17 ब्लॉकों में हुई गड़बड़ी को देखते हुए अलग-अलग थानों में कुल 51 मुकदमे दर्ज कर जांच शुरु कर दी। इन मुकदमों में 2002-03 से वर्ष 2005-06 के बीच रहे सभी सीडीओ, पीडी, डीडीओ, बीडीओ, तहसीलदार, पूर्ति निरीक्षक, कोटेदार, ट्रांसपोर्टर, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, आदि समेत कुल 6055 अधिकारियों व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया। जांच शुरु होते ही जिले में हड़कंप मच गया और मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। इसके बाद इस जांच को शासन ने ईओडब्लू को दे दी। इसी बीच जिले के कुछ लोगों ने इस घोटाले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दिया। हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने आठ मुकदमों को अपने अधीन लेते हुए जांच शुुरु कर दी। उधर, ईओडब्लू वाराणसी की ओर से 43 मामलों की जांच की जा रही है। कई मामलों में ईओडब्लू की ओर से कार्रवाई की जा चुकी है और रुक रुक कर जिले में आरोपियों की गिरफ्तारी भी कर चुकी है।